Stories Of Premchand
जयशंकर प्रसाद की लिखी कहानी पंचायत, Panchayat - Story Written By Jaishankar Prasad
- Author: Vários
- Narrator: Vários
- Publisher: Podcast
- Duration: 0:06:50
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Informações:
Synopsis
मन्दाकिनी के तट पर रमणीक भवन में स्कन्द और गणेश अपने-अपने वाहनों पर टहल रहे हैं। नारद भगवान् ने अपनी वीणा को कलह-राग में बजाते-बजाते उस कानन को पवित्र किया, अभिवादन के उपरान्त स्कन्द, गणेश और नारद में वार्ता होने लगी। नारद-(स्कन्द से) आप बुद्धि-स्वामी गणेश के साथ रहते हैं, यह अच्छी बात है, (फिर गणेश से) और देव-सेनापति कुमार के साथ घूमते हैं, इससे (तोंद दिखाकर) आपका भी कल्याण ही है। गणेश-क्या आप मुझे स्थूल समझकर ऐसा कह रहे हैं? आप नहीं जानते, हमने इसीलिए मूषक-वाहन रखा है, जिसमें देव-समाज में वाहन न होने की निन्दा कोई न करे, और नहीं तो बेचारा ‘मूस’ चलेगा कितना? मैं तो चल-फिर कर काम चला लेता हूँ। देखिये, जब जननी ने द्वारपाल का कार्य मुझे सौंप रखा था, तब मैंने कितना पराक्रम दिखाया था, प्रमथ गणों को अपनी पद-मर्यादा हमारे सोंटे की चोट से भूल जाना पड़ा। स्कन्द-बस रहने दो, यदि हम तुम्हें अपने साथ न टहलाते, तो भारत के आलसियों की तरह तुम भी हो जाते। गणेश-(हँसकर) ह-ह-ह-ह, नारदजी! देखते हैं न आप? लड़ाके लोगों से बुद्धि उतनी ही समीप रहती है, जितनी की हिमालय से दक्षिणी समुद्र! स्कन्द-और यह भी सुना है।-ढोल के भीतर पोल