Stories Of Premchand

जयशंकर प्रसाद की लिखी कहानी भीख में, Bheekh Mein - Story Written By Jaishankar Prasad

Informações:

Synopsis

खपरल दालान में, कम्बल पर मिन्ना के साथ बैठा हुआ ब्रजराज मन लगाकर बातें कर रहा था। सामने ताल में कमल खिल रहे थे। उस पर से भीनी-भीनी महक लिये हुए पवन धीरे-धीरे उस झोपड़ी में आता और चला जाता था। ‘‘माँ कहती थी ...’’, मिन्ना ने कमल की केसरों को बिखराते हुए कहा। ‘‘क्या कहती थी?’’ ‘‘बाबूजी परदेश जायँगे। तेरे लिये नैपाली टट्टू लायँगे।’’ ‘‘तू घोड़े पर चढ़ेगा कि टट्टू पर! पागल कहीं का।’’ ‘‘नहीं, मैं टट्टू पर चढ़ूंगा। वह गिरता नहीं।’’ ‘‘तो फिर मैं नहीं जाऊँगा?’’ ‘‘क्यों नहीं जाओगे? ऊँ-ऊँ-ऊँ, मैं अब रोता हूँ।’’ ‘‘अच्छा, पहले यह बताओ कि जब तुम कमाने लगोगे, तो हमारे लिए क्या लाओगे?’’ ‘‘खूब ढेर-सा रुपया’’-कहकर मिन्ना ने अपना छोटा-सा हाथ जितना ऊँचा हो सकता था, उठा लिया। ‘‘सब रुपया मुझको ही दोगे न!’’ ‘‘नहीं, माँ को भी दूँगा।’’ ‘‘मुझको कितना दोगे?’’ ‘‘थैली-भर!’’ ‘‘और माँ को?’’ ‘‘वही बड़ी काठवाली सन्दूक में जितना भरेगा।’’ ‘‘तब फिर माँ से कहो; वही नैपाली टट्टू ला देगी।’’ मिन्ना ने झुँझलाकर ब्रजराज को ही टट्टू बना लिया। उसी के कन्धों पर चढक़र अपनी साध मिटाने लगा। भीतर दरवाज़े में से इन्दो झाँककर पिता-पुत्र का विन