Stories Of Premchand
जयशंकर प्रसाद की लिखी कहानी ग्राम गीत, Gram Geet - Story Written By Jaishankar Prasad
- Author: Vários
- Narrator: Vários
- Publisher: Podcast
- Duration: 0:08:15
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Informações:
Synopsis
शरद्-पूर्णिमा थी। कमलापुर के निकलते हुए करारे को गंगा तीन ओर से घेरकर दूध की नदी के समान बह रही थी। मैं अपने मित्र ठाकुर जीवन सिंह के साथ उनके सौंध पर बैठा हुआ अपनी उज्ज्वल हँसी में मस्त प्रकृति को देखने में तन्मय हो रहा था। चारों ओर का क्षितिज नक्षत्रों के बन्दनवार-सा चमकने लगा था। धवलविधु-बिम्ब के समीप ही एक छोटी-सी चमकीली तारिका भी आकाश-पथ में भ्रमण कर रही थी। वह जैसे चन्द्र को छू लेना चाहती थी; पर छूने नहीं पाती थी। मैंने जीवन से पूछा-तुम बता सकते हो, वह कौन नक्षत्र है? रोहिणी होगी। -जीवन के अनुमान करने के ढंग से उत्तर देने पर मैं हँसना ही चाहता था कि दूर से सुनाई पड़ा- बरजोरी बसे हो नयनवाँ में। उस स्वर-लहरी में उन्मत्त वेदना थी। कलेजे को कचोटनेवाली करुणा थी। मेरी हँसी सन्न रह गई। उस वेदना को खोजने के लिए, गंगा के उस पार वृक्षों की श्यामलता को देखने लगा; परन्तु कुछ न दिखाई पड़ा। मैं चुप था, सहसा फिर सुनाई पड़ा- अपने बाबा की बारी दुलारी, खेलत रहली अँगनवाँ में, बरजोरी बसे हो। मैं स्थिर होकर सुनने लगा, जैसे कोई भूली हुई सुन्दर कहानी। मन में उत्कण्ठा थी, और एक कसक भरा कुतूहल था! फिर सुनाई पड़ा- ई कु