Stories Of Premchand
7: प्रेमचंद की कहानी "बलिदान" Premchand Story "Balidaan"
- Author: Vários
- Narrator: Vários
- Publisher: Podcast
- Duration: 0:20:06
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Informações:
Synopsis
गिरधारी उदास और निराश होकर घर आया। 100 रुपये का प्रबंध करना उसके काबू के बाहर था। सोचने लगा, अगर दोनों बैल बेच दूँ तो खेत ही लेकर क्या करूँगा ? घर बेचूँ तो यहाँ लेने वाला ही कौन है ? और फिर बाप दादों का नाम डूबता है। चार-पाँच पेड़ हैं, लेकिन उन्हें बेचकर 25 रुपये या 30 रुपये से अधिक न मिलेंगे। उधार लूँ तो देता कौन है ? अभी बनिये के 50 रुपये सिर पर चढ़ हैं। वह एक पैसा भी न देगा। घर में गहने भी तो नहीं हैं, नहीं उन्हीं को बेचता। ले देकर एक हँसली बनवायी थी, वह भी बनिये के घर पड़ी हुई है। साल-भर हो गया, छुड़ाने की नौबत न आयी। गिरधारी और उसकी स्त्री सुभागी दोनों ही इसी चिंता में पड़े रहते, लेकिन कोई उपाय न सूझता था। गिरधारी को खाना-पीना अच्छा न लगता, रात को नींद न आती। खेतों के निकलने का ध्यान आते ही उसके हृदय में हूक-सी उठने लगती। हाय ! वह भूमि जिसे हमने वर्षों जोता, जिसे खाद से पाटा, जिसमें मेड़ें रखीं, जिसकी मेड़ें बनायी, उसका मजा अब दूसरा उठाएगा। वे खेत गिरधारी के जीवन का अंश हो गए थे। उनकी एक-एक अंगुल भूमि उसके रक्त में रँगी हुई थी। उनके एक-एक परमाणु उसके पसीने से तर हो रहा था। उनके नाम उसकी जिह्वा पर उसी त