Puliyabaazi

क्या सरकारी नीतियों ने मीडिया को विज्ञापन पर निर्भर कर दिया है? Have government policies made the media dependent on advertising?

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Synopsis

मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ भी माना जाता है। हर स्तम्भ का अपना विशेष कार्य होता है और कुछ विशेष ज़िम्मेदारियाँ भी। इसमें कुछ आश्चर्य की बात नहीं अगर एक स्तम्भ से दूसरे स्तम्भ के चलन पर प्रभाव पड़े पर वो प्रभाव अगर सही चलन में बाधा बन जाए, तो चिंताजनक बात हो सकती है।इस बार की पुलियाबाज़ी इसी विषय पर संवाद आरम्भ करती है।ये हमारी नई कोशिश "एक सवाल, कई जवाब" का एक और अंक है। इस बार का सवाल है- "क्या सरकारी नीतियों ने मीडिया को विज्ञापन पर निर्भर कर दिया है?"Media is also considered as the fourth pillar of democracy. Each pillar has its own special function and responsibilities. It is not a new thing, if there is an effect on the working of one pillar because of another, but if that effect turns into a hindrance then it can be a worrying thing.This is another part of our new endeavor "One Question, Many Answers". This time the question is - "Have government policies made the media dependent on advertising?"Puliyabaazi is on these platforms:Twitter: https://twitter.com/puliyabaaziInstagram: https://www.instagram