Synopsis
This Hindi Podcast brings to you in-depth conversations on politics, public policy, technology, philosophy and pretty much everything that is interesting. Presented by tech entrepreneur Saurabh Chandra and public policy researcher Pranay Kotasthane, the show features conversations with experts in a casual yet thoughtful manner.
Episodes
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भारत और चीन में रोटी, कपड़ा, मकान। Comparing India-China Consumption Trends
21/11/2024 Duration: 52minभारत चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया में सबसे ज़्यादा आबादी वाला देश बन गया है। लेकिन उपभोक्ताओं की बड़ी जनसँख्या के बावजूद क्यों भारत विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने में पीछे छूट रहा है? इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए आज हम नज़र डालेंगे भारत और चीन के कंसम्पशन ट्रेंड्स पर। इस हफ़्ते पुलियाबाज़ी पर हमारे मेहमान हैं तक्षशिला इंस्टीट्यूशन से जुड़े स्टाफ रिसर्च एनालिस्ट अमित कुमार, जो भारत और चीन की खपत पर अपनी रिसर्च हमारे साथ साझा करते हैं। आइये, आप भी शामिल हो जाईये इस चर्चा में। India has surpassed China as the most populous country in the world. With a large base of consumers, shouldn’t India be an attractive destination for foreign investors? However, we see that despite the West’s emerging China+1 policy, India is losing the race to smaller economies in Southeast Asia. Why is that the case? This week on Puliyabaazi, Amit Kumar, Staff Research Analyst at the Takshashila Institution, joins us to share his research on India-China consumption trends. We discuss:* Why do we need to look at consumption data?* Who a
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सफ़रनामा: मेम्फिस से शारजाह से वियतनाम तक। Travelogue: Memphis, Sharjah, Vietnam
14/11/2024 Duration: 41minहम सफर क्यों करते हैं? जब हम अपने घर या शहर में रहते हैं, तो एक ही नज़रिये से दुनिया को देखने की आदत पड़ जाती है। सफर हमें मौका देता है कि हम अपने पुराने चश्मे उतारकर, दुनिया को एक नए नज़रिये से देखने की कोशिश करें। सफर का मतलब ही यह होता है कि हम अपनी आम ज़िन्दगी की उलझनों को थोड़ी देर के लिए भूलकर कुछ नया ढूंढने निकलें। अक्सर हमें यह पता नहीं होता कि सफर में क्या मिलेगा, इसलिए अपनी आंखें और मन खुले रखने पड़ते हैं। जो ऐसा कर पाता है, उसे कुछ कीमती यादें और कभी-कभी नए विचारों के बेशकीमती मोती भी मिल सकते हैं। आशा है कि इस सफरनामे में हम जो ख्याल साझा रहे हैं, उनमें से आपको भी कुछ काम की बातें मिलें। We discuss:* Saurabh’s travel to Memphis* Upcoming change in Manufacturing* Sharjah Book Fair* Pranay’s book ‘When Chips Are Down’ translated into Arabic* Vietnam’s female labour force* Archeological Survey of India collaborating in VietnamAlso, please note that Puliyabaazi is now available on Youtube with video. If you like the work we do, please share it with your friends and family. Related Puliyabaazi:सफ़रनामा: अमर
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भारतीय कंपनियाँ रिसर्च में पीछे क्यों? Is India Investing in Research? ft. Varun Aggarwal
07/11/2024 Duration: 01h13minपुलियाबाज़ी पर चर्चा में अक्सर ये बात उठती है कि भारत वैज्ञानिक संशोधन में दुसरे देशों की तुलना में कमज़ोर है। पर ऐसा क्यों? इस विषय पर पहले भी FAST, India और Change Engine के को-फाउंडर वरुण अग्गरवाल के साथ पुलियाबाज़ी हुई है। चर्चा को काफ़ी समय हो गया तो हमने सोचा कि इन वर्षों में रिसर्च और इनोवेशन की दुनिया में क्या बदलाव आये हैं इस पर और एक पुलियाबाज़ी हो जाये। पिछली चर्चा में फोकस था सरकारी तंत्र द्वारा प्रोत्साहित संशोधन, और इस बार चर्चा का केंद्र है भारतीय कंपनियों में हो रहा (या कहिये नहीं हो रहा) अनुसंधान। अगर आपने इसके पहले की चर्चा सुनी न हो तो वो भी सुनियेगा। आपके ज्ञान में बढ़ोतरी ही होगी ये गारंटी है।Why does India lag in R&D? We have discussed this topic earlier with Varun Aggarwal, Co-founder, Fast, India and Change Engine. It has been a while since that discussion, so we thought that it would be good to have an update on this topic. The focus in the last discussion was on the research funded by the governments and universities, while in this episode the focus is on the R&D ecosystems within
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डेटा द्वारा भारत को कैसे समझें? Understanding India through Data ft. Rukmini S
31/10/2024 Duration: 01h11minWelcome to another edition of Puliyabaazi! In today’s episode, we dive into the world of data journalism with noted data journalist Rukmini S. She is the founder of Data for India, a public platform aimed at uncovering new insights about India through data. In this conversation, we discuss the current landscape of data journalism in India. Has the quality of Indian data improved over time? What challenges still exist? Can we consider data to be the singular truth, or is it just one point in triangulating our understanding of the world? Join us for this insightful conversation!पुलियाबाज़ी के एक और संस्करण में आपका स्वागत है! आज हम डेटा जर्नलिज्म की दुनिया में गोता लगाने की कोशिश करेंगे डेटा पत्रकार रुक्मिणी एस के साथ। वे डेटा फॉर इंडिया की संस्थापक हैं, जो एक सार्वजनिक मंच है डेटा के ज़रिए भारत को बेहतर समझने के लिए। वे हमें भारत में डेटा जर्नलिज्म के परिदृश्य के बारे में बताती हैं। क्या समय के साथ भारतीय डेटा में सुधार हुआ है? क्या हम डेटा को आखिरी सत्य मान कर चल सकते हैं? या डेटा दुनिया को समझने की खोज में ए
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लोकसभा सीटों का बंटवारा कैसे हो? Delimitation: Opportunity for a Grand Bargain
24/10/2024 Duration: 50minएक वोट, एक मूल्य ये प्रजातंत्र का मूल सिद्धांत है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए, बदलती जनसंख्या के साथ लोकसभा की सीटों का बंटवारा भी बदलने की व्यवस्था हमारे संविधान में की गयी थी। हर दशकीय जनगणना के बाद जनसंख्या के अनुपात में सीटों का बंटवारा होना था। लेकिन, इमरजेंसी के दौरान इस व्यवस्था को पच्चीस सालों के लिए स्थगित कर दिया गया। २००१ में इस बंटवारे को २०२६ तक टाल दिया गया। अब २०२६ नज़दीक आ रहा है। इसके साथ ही जिन राज्यों में जनसँख्या घटी है, उन राज्यों में लोकसभा के सीटें कम हो जाने का डर एक राजकीय मुद्दा बनकर उभर रहा है। इस ज्वलंत मुद्दे को कैसे समझें? क्या हम किसी समाधान पर पहुँच सकते हैं? चलिए, इसी पर आज की पुलियाबाज़ी करते हैं। One vote, one value is the basic principle of democracy. Hence, Article 81 of the Indian Constitution mandated a regular redistribution of Lok Sabha seats with changing population. After every decennial census, seats were to be reallocated amongst states in proportion to the population, so that the weight of every vote remains more or less the same across the country. However, du
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सुपर कीटाणुओं का कैसे करें मुकाबला? Understanding Superbugs and Antibiotic Resistance ft. Anirban Mahapatra
17/10/2024 Duration: 01h05minएंटीबायोटिक की खोज मानव जाति के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण था। इससे इंसानों का जीवनकाल बढ़ा और स्वास्थ्य सेवा में क्रांतिकारी बदलाव आया क्योंकि लोग अब मामूली चोटों और संक्रमणों के कारण नहीं मर रहे थे। लेकिन अब एक नया खतरा मंडरा रहा है - सुपरबग बैक्टीरिया अब तक खोजे गए एंटीबायोटिक्स के प्रति तेजी से प्रतिरोधी होते जा रहे हैं। एंटीबायोटिक प्रतिरोध को तेजी से बढ़ाने वाले कारण क्या हैं? इस छिपी हुई महामारी को रोकने के लिए क्या किया जा सकता है? माइक्रोबायोलॉजिस्ट और ‘व्हेन द ड्रग्स डोंट वर्क’ के लेखक अनिर्बान महापात्रा इस विषय को सरल बनाने और एंटीबायोटिक्स के उपयोग और दुरुपयोग से जुड़े कई मिथकों को तोड़ने के लिए हमारे साथ इस पुलियाबाज़ी पर जुड़ें। आप भी गौर से सुनिए और अगर बातें काम की लगें तो अपने परिवारजनों के साथ साझा करें। The discovery of antibiotics was a pivotal moment for humankind. Lifespan increased and healthcare was revolutionized as people were no longer dying due to minor injuries and infections. But now, there is a real danger of losing the evolutionary arms race with superbug bacterias, who are increasin
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Why is India’s Real Estate Market Broken? शहरों में घरों की कमी क्यों ft. Vaidehi Tandel
10/10/2024 Duration: 01h08minWhy is the housing market in India so expensive? Why is buying a house a decision fraught with risk and uncertainty? How can we find clues about the nexus between the builders and the politicians? This week, we speak to Vaidehi Tandel, an urban economist, who has researched into the issues that plague India’s housing market.भारत में घर इतने महंगे क्यों है? घर खरीदना जोखिम और अनिश्चितता से भरा फैसला क्यों है? बिल्डरों और राजनेताओं के बीच सांठगांठ के बारे में सुराग कैसे मिलेंगे? इस सप्ताह पुलियाबाज़ी पर हमारे साथ जुडी अर्बन अर्थशास्त्री वैदेही टंडेल, जिन्होंने भारत के रियल एस्टेट को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर शोध की है। वे मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी में अर्बन इकोनॉमिक्स और रियल एस्टेट के विषय पढ़ाती हैं। We discuss:* Magical cities* Why are cities more productive?* Are Indian cities dense?* How to improve housing supply?* Issues with FSI constraints* Is the CBD-centric model good or bad?* Why are our urban areas dilapidated?* Vacant lands in cities* Litigations in Real Estate* Lemons in Housing Market* Impact of RE
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IC814 Hijack Negotiations: असली कहानी, R&AW अफसर की ज़ुबानी ft. Anand Arni
03/10/2024 Duration: 01h04minनमस्कार, जासूसी कथा और कमांडो मिशन के किस्सों में किसे दिलचस्पी नहीं होती। हालिया, आईसी-814 के हाईजैक पर सीरीज़ के चलते ये किस्सा फिर से चर्चा में है, तो हमने सोचा कि क्यों न किसी ऐसे मेहमान से बात की जाए जो खुद इस घटना में शामिल थें। आज की पुलियाबाज़ी पर हमारे मेहमान हैं आनंद आरणिजी जो IC-814 की घटना में उन पांच अफसरो में से थे जिन्हें भारत सरकार के द्वारा अपहर्ताओं के साथ बातचीत करने के लिए कंदहार भेजा गया था। आज की पुलियाबाज़ी पर वे अपने इस अनुभव को साझा करते हैं। आनंद आरणिजी के साथ पुलियाबाज़ी पर ये दूसरी बातचीत है। इस पहले वे एक R&AW अफसर होने के अनुभव और पाकिस्तान और अफगानिस्तान से संबंधित बातों पर विस्तार से चर्चा कर चुके हैं। इन एपिसोड के लिंक्स आपको शो नोट्स में मिलेंगे।पुलियाबाज़ी अब यूट्यूब पर वीडियो के साथ भी प्रस्तुत है। अगर आप हमारी बातें वीडियो के साथ देखना चाहते हैं तो हमारे यूट्यूब चैनल Puliyabaazi Hindi Podcast को ज़रूर सब्सक्राइब करें। पुलियाबाज़ी की वेबसाइट puliyabaazi.in पर आप हमारे अन्य एपिसोड्स को आसानी से ढूंढ सकते हैं। तो आइए सुनते हैं आज की पुलियाबाज़ी। Mr Anand Arni is a Distinguishe
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पेजर विस्फोट का क्या होगा दुनिया पर असर? Hardware Supply Chain Security
26/09/2024 Duration: 35minLast week, the long ongoing conflict between Israel and Hezbollah saw an escalation with the blasts of pagers and other communication devices given to the members of Lebanon based political party and terrorist group Hezbollah. As we write this post, this situation is still evolving and it will take some time before the long term consequences of these attacks will be clear. However, the attacks on civilian communication devices have certainly raised serious doubts about the safety and security of hardware supply chains. What will be the impact of this on global supply chains of hardware components? How will different countries respond to this? Have these attacks changed the world? पिछले हफ़्ते, लेबनान स्थित राजनीतिक दल और आतंकवादी समूह हिज़्बुल्लाह के सदस्यों को दिए गए पेजर और अन्य संचार उपकरणों के विस्फोटों के बाद इजराइल और लेबनान के बीच युद्ध जैसे हालात पैदा हो गए हैं। इन हमलों के दीर्घकालिक परिणामों को स्पष्ट होने में कुछ समय लगेगा। हालाँकि, आम लोगों द्वारा उपयोग में लिए जा रहे संचार उपकरणों पर हमलों ने निश
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चीन के अतिरिक्त उत्पादन का उपाय? How should India respond to China’s overcapacity?
19/09/2024 Duration: 50minइस हफ़्ते पुलियाबाज़ी पर चर्चा चीन के बेलगाम उत्पादन की। क्या चीन के अतिरिक्त उत्पादन से दुनियाभर के देशों के उद्योग पर जोखिम मंडरा रहा है? कई देश इस पर रोक लगाने की कोशिश कर रहे हैं, तो ऐसे में भारत को क्या करना चाहिए? चीन की मैन्युफैक्चरिंग से हम क्या सीख सकते है? इन सब बातों पर चर्चा आज की पुलियाबाज़ी पर। We discuss:* China’s overcapacity—a structural flaw* Lessons for India?* How should India respond?Readings:Global Policy Watch: The Perils of Decentralisation with Chinese Characteristics by Pranay Kotasthane and Manoj KewalramaniRelated Puliyabaazi:भारत और चीन के बदलते रिश्ते। Decoding India-China relations ft. Vijay Gokhaleचीन की विश्वगुरु हसरतें। How China plans to change the world order? Ft. Manoj KewalramaniIf you have any questions for the guest or feedback for us, please comment here or write to us at puliyabaazi@gmail.com. If you like our work, please subscribe and share this Puliyabaazi with your friends, family and colleagues.substack: Website: https://puliyabaazi.inHosts: @saurabhchandra @pranayko
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भारतीय पुलिस के हालचाल। The State of Policing ft. Javeed Ahmad
12/09/2024 Duration: 01h22minइस पुलियाबाज़ी पर हमारे मेहमान हैं जावीद अहमद जी जो उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व डीजीपी रह चुके हैं, और एक आईपीएस अधिकारी के रूप में विभिन्न भूमिकाओं में काम कर चुके हैं। एक पुलिस अधिकारी को किन हालात में काम करना पड़ता है? उनकी कार्य परिस्थितियाँ कैसी हैं और पुलिस सुधारों की कमी हमारे समाज को कैसे प्रभावित करती है। आज पुलिया पर इन सब बातों पर खुलकर चर्चा। Join us on this frank puliyabaazi with our guest Javeed Ahmad, Ex-DGP, Uttar Pradesh, as he shares insights from his long career as an IPS officer in various roles. What are the constraints under which police officers have to function? What are their working conditions and how the lack of police reforms impacts our society. This conversation will give you an insider’s view into the state of police departments in India. Javeed Ahmad is an Adjunct Distinguished Fellow at the Takshashila Institution. He has done a detailed series called ‘Police Chowki’ where he discusses the different aspects of policing at length. Do check that out. Today, we discuss:* A day in
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EP250 समस्या रोज़गार या वेतन की? Reducing Regulatory Cholesterol ft. Manish Sabharwal
05/09/2024 Duration: 01h11minआज पुलियाबाज़ी की २५०वि कड़ी प्रस्तुत है। इस सफर में हमारे साथ जुड़े रहने के लिए शुक्रिया। इस ख़ास मौके पर चर्चा रोज़गार के विषय पर। भारत में समस्या रोज़गार की है या वेतन की? क्या दिक्कतें है जिनकी वजह से भारत में कृषि सेक्टर से मैन्युफैक्चरिंग की तरफ नौकरियों का स्थानांतरण नहीं हो पाया? भविष्य में नौकरियाँ कहाँ से आएगी? इन सब बातों पर चर्चा TeamLease Services के संस्थापक मनीष सभरवाल जी के साथ। अगर चर्चा पसंद आये तो पुलियाबाज़ी के playlists को ज़रूर सुनें, और अपने दोस्तों और परिवारजनों के साथ शेयर करें। Today, we reach the 250th episode milestone. Thank you for being an important part of Puliyabaazi’s journey. Your support and encouragement means a lot to us. Also, a shout out for our unseen team member and Audio Editor Vijay Doiphode, who patiently fixes our recording goof-ups. If Saurabh seems too quiet in the second half of this episode, that’s because he had to leave due to a work commitment.On this special episode, we dive into a much-discussed topic in public policy—India’s wage problem. Our guest Manish Sabha
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श्रृंगार रस की भाषा। Love Poetry in Sanskrit ft. Anusha Rao & Suhas Mahesh
29/08/2024 Duration: 01h12minप्रिय श्रोतागण,आज 249वी पुलियाबाज़ी पर एक अनूठे विषय पर चर्चा प्रस्तुत है। हम ने लोकनीति, टेक्नोलॉजी और सांस्कृतिक विषयों पर काफ़ी बातचीत की है, लेकिन किसी भी भाषा के साहित्य पर बहुत ज़्यादा चर्चा नहीं हुई है। अमित बसोले जी के साथ भक्ति मार्ग के विषय पर बात करते वक़्त कुछ भक्ति काव्य की बात हुई थी, पर उस चर्चा में मुख्य विषय अलग था। आज की चर्चा का विषय अनूठा है क्योंकि हम ऐसे दो विषयों पर बात करेंगे जिन पर आम तौर पर पुलियाबाज़ी पर चर्चा नहीं होती—प्रेम कविता और संस्कृत! चौंक गए ना? अक्सर, हम भारत की प्राचीन भाषाओं जैसे संस्कृत, प्राकृत और अपभ्रंश के बारे में कई धारणाएँ रखते हैं। हम संस्कृत को शास्त्रों की भाषा मानते हैं, पर यह भूल जाते हैं कि संस्कृत साहित्य में सभी रसों का राजा श्रृंगार है, जो प्रेम का रस है। हम अक्सर अतीत में लोगों के मानदंडों के बारे में धारणाओं से ग्रस्त होते हैं, तो हमने सोचा क्यों न दो संस्कृत के जानकारों से बात की जाए और उनसे ही समझा जाये हमारी प्राचीन भाषाओं और उनमें लिखे गए साहित्य के बारे में? कौन थे वो कवी जो इस साहित्य को लिख रहे थे, कहाँ पर इन कविताओं को पढ़ा जा रहा था? क्या इन प्रेम
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राज्यों के बीच वित्तीय झगड़ा कैसे रोकें? Solving the vertical fiscal gap
22/08/2024 Duration: 31minहालिया बजट के बाद कई राज्य सरकारें आंध्र प्रदेश और बिहार राज्य को दिए जा रहे स्पेशल पैकेज के बारे में शिकायत करते हुए पाई गई। पर इससे बड़ा मुद्दा है केंद्र सरकार और राज्यों के बीच वित्तीय वितरण का। 62% राजस्व केंद्र सरकार द्वारा एकत्र किया जाता है जब कि राज्य सरकारें 62% खर्चे के लिए जिम्मेदार हैं। यह राजकोषीय असंतुलन राज्यों की अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने की क्षमता को सीमित करता है। आज की पुलियाबाज़ी पर इसे मुद्दे पर प्रणय अपने कुछ सुझाव साझा करते हैं। We often find state governments squibbling about revenue distribution amongst the Indian states, however the core of this issue lies in the vertical devolution of funds. A significant mismatch exists: while 62% of revenue is collected by the union government, the state governments are responsible for 62% of the expenditure. This fiscal imbalance limits the states’ ability to meet its spending responsibilities. To address this, Pranay proposes an algorithmic approach to resolve this complex issue. Notes from Pranay:We discuss:* Vertical devolution is the key
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भारतीय संविधान कैसे बना? Unpacking the Workings of Constituent Assembly ft. Achyut Chetan
15/08/2024 Duration: 01h28minस्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ‘आज़ादी की राह’ के इस ख़ास एपिसोड पर हम समझते हैं हमारे संविधान सभा के कामकाज के बारे में। संविधान सभा का गठन कैसे हुआ? सभा में निर्णय कैसे लिए जाते थे? बाबासाहेब आंबेडकर ने संविधान सभा में क्या भूमिका निभाई? क्या हमारे संविधान को एक कोलोनियल संविधान कहा जा सकता है? इन सब दिलचस्प सवालों पर विस्तार से चर्चा प्रोफेसर अच्युत चेतन के साथ। On this Independence Day special, we dive into the inner workings of the Constituent Assembly with Prof. Achyut Chetan. We explore the historical backdrop against which the Constituent Assembly was formed. We unpack the decision-making processes and the key contests and compromises in the Assembly, and discuss the provocative question of whether our constitution bears a colonial influence. Join us in this conversation to understand why studying the making of the Indian Constitution is not just an academic exercise but a crucial key to appreciating the essence of our democratic framework.Prof. Achyut Chetan is Professor of English at Sido Kanhu Murmu Uni
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जिंदगी के सबक खेल खेल में। The Philosophy of Sports ft. Nandan Kamath
08/08/2024 Duration: 01h14minओलंपिक खेल के इस अवसर पर हमने सोचा कि क्यों न खेल कूद पर ही एक पुलियबाज़ी हो जाये। हमारे समाज को खेल की चिंता क्यों करनी चाहिए? खेल समाज के लिए एक दर्पण की तरह काम करता है, जो उसके मूल्यों, आकांक्षाओं और चुनौतियों को दर्शाता है। इसके अलावा, खेल एक जीवंत प्रयोगशाला की तरह है जहाँ मानवीय क्षमता और मानदंडों की सीमाओं को चुनौती दी जा सकती है और उन्हें फिर से परिभाषित किया जा सकता है। इस पुलियाबाज़ी में हमारे साथ जुड़ते हैं नंदन कामत जो एक वकील हैं और एक खिलाड़ी रह चुके हैं। उनकी किताब Boundary Lab के ज़रिये वे हमें खेल की प्रयोगशाला में हो रहे कई प्रयोगों से रूबरू कराते हैं। और इन प्रयोगों से निकलते हैं कुछ सबक, सिर्फ खेल प्रशासन से जुड़े ही नहीं पर जिंदगी के फलसफे से जुड़े भी। तो इस पुलियाबाज़ी को सुनियेगा ज़रूर। As people worldwide watch the Olympics, we take this opportunity to contemplate the importance of sports in our lives. Sports serve as a mirror to society, reflecting its values, aspirations, and challenges. Moreover, sports is like a live laboratory where the boundaries of human capacity and norms can be chal
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Why is Job Reservation for Locals a Bad Idea? रोज़गार चाहिए, स्थानिक आरक्षण नहीं।
01/08/2024 Duration: 33minपिछले हफ़्ते कर्नाटका के CM द्वारा घोषित स्थानीय आरक्षण ड्राफ्ट बिल पर काफ़ी हल्ला मचा। इस प्रकार का आरक्षण इससे पहले हरयाणा ने भी लाने की कोशिश की थी, पर उसे हरयाणा हाई कोर्ट ने असंवैधानिक घोषित कर दिया था। कर्नाटका में भी इस पॉलिसी को फिलहाल तो होल्ड पर रखा गया है पर सवाल ये है कि राज्य सरकारें ऐसी नीतियां क्यों लाती रहती हैं? क्या ऐसी संकीर्ण नीतियों से भारत को फायदा होगा या नुकसान? इसी विषय पर इस हफ़्ते चर्चा। Last week, there was a lot of uproar over the local reservation draft bill announced by the Karnataka CM. Earlier, Haryana had also tried to bring a similar reservation, but it was declared unconstitutional by Haryana High Court. In Karnataka too, this policy has been put on hold for the time being. However, the question remains—why do state governments keep announcing such bad policies? Will such narrow policies benefit India or harm it? Also, how does agglomeration effect come into play in the growth of high-tech hubs? We discuss:* Is it Constitutional? * Does it make economic sense? * Can you becom
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बिजली और मौसम परिवर्तन का नाता। Power Sector Reforms will Unlock Climate Transition ft. Akshay Jaitly
25/07/2024 Duration: 01h12minPower sector will play a crucial role in India's climate transition. However, reforms remain stalled and the price system is broken in this sector dominated by the state. What are some possible solutions to navigate this challenge? This week on Puliyabaazi, Akshay Jaitly joins us to give us a comprehensive view of the sector and presents new ideas to fix the price system in the electricity market. Akshay is Founder-Partner at Trilegal and Founder of Trustbridge and has worked extensively in the power sector. Do listen in. जलवायु परिवर्तन एक ऐसी सच्चाई है जिससे इनकार नहीं किया जा सकता। लेकिन एक विकासशील देश होने के नाते भारत में ऊर्जा की ज़रूरतें बढ़ेंगी ही। यह भारत के लिए एक चुनौती पेश करता है, और इस बदलाव में बिजली क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। हालांकि, सुधार रुके हुए हैं और राज्य के प्रभुत्व वाले बिजली क्षेत्र में price system टूटी हुई है। इस चुनौती से निपटने के लिए क्या उपाय हैं हमारे पास? इस हफ़्ते पुलियाबाज़ी पर, अक्षय जेटली इस क्षेत्र के बारे में विस्तृत जानकारी देने और बिजली बाज़ार में सुधार के लिए
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पाकिस्तान का आर्थिक सफ़र। Understanding Pakistan's Economic Challenges ft. Uzair Younus
18/07/2024 Duration: 01h22minपिछले कुछ सालों से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था उथल-पुथल भरे दौर से गुज़र रही है। बढ़ती महंगाई और ऊर्जा की बढ़ती कीमतों ने आम आदमी के जीवन स्तर को काफ़ी प्रभावित किया है। इसके पीछे क्या वज़ह है? पाकिस्तान इन आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए ज़रूरी सुधारों को लागू क्यों नहीं कर पा रहा है? इस हफ़्ते, हम बात करेंगे उज़ैर यूनुस से, जो अपने पॉडकास्ट पाकिस्तोनॉमी पर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के कई पहलुओं के बारे में लिखते और चर्चा करते रहे हैं।Pakistan's economy has been going through turbulent times in the past few years, with inflation reaching above 35% in May 2023. High inflation and rising energy prices have caused a significant dent in the common man’s standard of living. What are the reasons behind this? Why has Pakistan not been able to implement the reforms required to tackle these economic challenges? This week, we speak to Uzair Younus, who has been writing and discussing the many facets of Pakistan's economy on his podcast Pakistonomy. We discuss:* The OG Asian Tiger* Market economy in the early days* Failur
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खेल प्रशासन को खेल खेल में ना लें। Reforming Sports Governance
11/07/2024 Duration: 48minपेरिस ओलंपिक्स के नजदीक आने के साथ ही भारत में कई खेल प्रेमी सोच रहे होंगे: भारत ओलंपिक की मेजबानी कब करेगा? लेकिन अगर कोई खेल प्रेमी पुलियाबाज़ी का श्रोता है, तो वह सबसे पहले यह सवाल पूछेगा: क्या भारत को ओलंपिक की मेजबानी करनी चाहिए? क्या इस तरह के आयोजन से भारत में खेल को बढ़ावा मिलेगा या यह हमारे सीमित संसाधनों की बर्बादी होगी? क्या कोई और विकल्प है जो भारत में खेल प्रशासन को सुधार सकता है? प्रणय के पास ऐसे ही कुछ वैकल्पिक प्रस्ताव हैं जिन पर हमने पुलियाबाज़ी की। आप भी सुनिए और इन विचारों पर अपनी टिप्पणियां हमें भेजिए। As Paris 2024 is just around the corner, many sports enthusiasts in India may be wondering: When will India host the Olympics? But if the sports enthusiast happens to be a Puliyabaazi listener, they are likely to first ask: Should India host the Olympics? Will the sports ecosystem in India get a boost by such an event or will it be a wastage of our already limited resources? Are there any alternatives that can rejig the sports governance in India? Well, Pranay has a few heretical ideas to pre